11 अप्रैल 2013 के दिन से नव सम्वत्सर प्रारम्भ होगा. साथ ही इस दिन से चैत्र शुक्ल पक्ष का पहला नवरात्रा होने के कारण इस दिन कलश स्थापना भी की जायेगी. नवरात्रे के नौ दिनों में माता के नौ रुपों की पूजा करने का विशेष विधि विधान है. साथ ही इन दिनों में जप-पाठ, व्रत- अनुष्ठान, यज्ञ-दानादि शुभ कार्य करने से व्यक्ति को पुन्य फलों की प्राप्ति होती है. इस वर्ष में पहला नवरात्रा अश्विनि नक्षत्र में प्रारम्भ होगा, तथा ये नवरात्रे 19 अप्रैल 2013 तक रहेगें.
वैसे तो नवरात्र स्थापना और व्रत उपासक को स्वयं करना चाहिए, लेकिन सामथ्र्य और समय के अभाव में किसी प्रमुख अनुष्ठान में शामिल हो कर भी इसका फल प्राप्त किया जा सकता है। सामान्यतया कोई अपने अनुष्ठान में परिजनों के अलावा किसी बाहरी व्यक्ति को शामिल नहीं करता है, लेकिन मंदिरों में होने वाले बड़े अनुष्ठानों में सहभागिता की जा सकती है।
इसी क्रम में संतोषी माता के मंदिर में होने वाले अनुष्ठान में स्थापना से पूर्व मात्र एक नारियल रख कर आप भी नवरात्र अनुष्ठान में सहभागी हो सकते हैं और व्रत के फल पा सकते हैं।
वैसे तो नवरात्र स्थापना और व्रत उपासक को स्वयं करना चाहिए, लेकिन सामथ्र्य और समय के अभाव में किसी प्रमुख अनुष्ठान में शामिल हो कर भी इसका फल प्राप्त किया जा सकता है। सामान्यतया कोई अपने अनुष्ठान में परिजनों के अलावा किसी बाहरी व्यक्ति को शामिल नहीं करता है, लेकिन मंदिरों में होने वाले बड़े अनुष्ठानों में सहभागिता की जा सकती है।
इसी क्रम में संतोषी माता के मंदिर में होने वाले अनुष्ठान में स्थापना से पूर्व मात्र एक नारियल रख कर आप भी नवरात्र अनुष्ठान में सहभागी हो सकते हैं और व्रत के फल पा सकते हैं।
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